ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्र का अतयन्त महत्व होता है। आकाश में अनेक प्रकार के तारा समूह है और इन्ही सभी समूहों को नक्षत्र कहा जाता है यह चंद्र मार्ग से जुड़े होते है। हिन्दू कल गणना और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते है और हर नक्षत्र में वर्णमाला के चार अक्षर होते है और वे 9 वर्णमाला अक्षर की एक राशि होती है। तीन नक्षत्रो के स्वामी एक गृह होता है इसी प्रकार ९ ग्रह स्वामी होते है ,इसी प्रकार जातक जिस समय जन्म लेता है उसी समय को जन्म समय की गणना से यह गणित होता है और उसके अनुसार जातक का नक्षत्र पता लगता है और नक्षत्र के अनुसार उसके ऊपर गृह दशा आदि का पता लगता है।
इस तरह नक्षत्र का ज्योतिष फल और भविष्यवाणी में विशेष फल होता है। 27 नक्षत्रो में से पांच नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र होते है। यह गंडमूल नक्षत्र मूल ,अश्वनी ,रेवती,मघा ,ज्येष्ठा ,अश्लेषा। गंडमूल नक्षत्र में पैदा हुए जातक को अपगंड दोष होता है जिसका निवारण गंड मूल पूजा से करवाना पड़ता है। आचार्य पंडित जे बी स्वामी जी नक्षत्र गणना से आपके जीवन पर पड़ने वाले शुभ अशुभ प्रवाभ में माहिर है कर उनके बताये मार्गदर्शन से आपको अत्यंत फायदा होगा ।
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